एक सोच, एक सुझाव और एक क्रांति

      जब से मैं इस ब्लॉग्गिंग की दुनिया में आया हूँ, तब से मैंने पाया है कि लगभग हर प्रदेश या शहर विशेष के चंद चिट्ठाकारों (Bloggers) ने मिल कर एक ब्लॉग असोसिएशन बना लिया या फिर किसी स्थान विशेष पर निश्चित समय पर पहुँच के एक छोटी सी संगोष्ठी या सम्मलेन का आयोजन कर डाला. सम्मलेन में कुछ लोगों को उनके हिंदी ब्लॉग्गिंग क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए कुछ पुरुस्कार भी दिए गए और फिर हिंदी ब्लॉग्गिंग के सुन्दर भविष्य पर थोड़ा चिंतन व मनन के पश्चात् उस समारोह का सारा सारांश समाचार के रूप में चित्रों समेत किसी ब्लॉग विशेष पे सजा दिया जाता है. 
    डरिये मत, मैं ऐसे किसी भी समारोह या असोसिएशन के खिलाफ नहीं हूँ, बल्कि मैं यह बताना चाहता हूँ कि इस साहित्य जगत में एक शहर ऐसा भी है जहां से साहित्य के अनमोल हीरे निकले और उन्होंने हिंदी साहित्य को गगनचुम्बी ऊंचाइयों तक पहुँचाया. उनमे से कुछ अनमोल हीरों के नाम मैं लेना चाहूँगा - "श्री हरिशंकर परसाई जी, सुभद्रा कुमारी चौहान जी, द्वारका प्रसाद मिश्र जी, भवानी प्रसाद मिश्र जी ... " और न जाने कितने हीरों का शहर है ये...
अब शायद आप भी समझ गए होंगे कि मैं किस शहर की बात कर रहा हूँ ?
जी हाँ ! मैं जबलपुर शहर की बात ही कर रहा हूँ...

जबलपुर शहर ! आह ! 
     जिसका नाम लेते ही कभी पवित्र पावनी माँ नर्मदा के घाटों का रमणीय दृश्य जेहन में उतर आता है, तो कभी रानी दुर्गावती के बलिदान की गाथा आँखों के सामने घटित होने लगती है और तो कभी सुभद्रा कुमारी चौहान जी के स्वर "खूब लड़ी मर्दानी, वह तो झाँसी वाली रानी थी" कानो में गूंजने लगते हैं, जो हर पल एक नया जोश भर देते हैं.
      और आपको शायद न मालूम हो पर एक बात जो कुछ महीने पहले ही मुझे पता चली थी वो ये कि राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी जी कि अस्थियाँ, जबलपुर में नर्मदा नदी के तिलवारा घाट में विसर्जित की गयी थी और उसी के बाद तिलवारा घाट के समीप ही गाँधी भवन का निर्माण किया गया. (यह बात मुझे मध्यप्रदेश टूरिज्म के फेसबुक पेज से प्राप्त हुई).

      आज मैं जान गया हूँ कि जबलपुर को उपेक्षा की दृष्टी से देखना खुद को उपेक्षित करना है. और जो इन्सान खुद की नज़रों से गिर जाए तो उसका कुछ भी नहीं हो सकता. 
       पिछले छः महीनो में मैंने जाना कि हिंदी ब्लॉग्गिंग जगत में जबलपुर भी अपनी साख बना रहा है, जिसमे से कुछ ब्लॉगर तो आज सारे ब्लॉग जगत में अच्छी तरह जाने जाते हैं. उनमे से एक हैं - श्री समीर लाल उर्फ़ उड़न तस्तरी जी... आज हर कोई उनको भली भांति जानता है.

       अब मुद्दे की बात की जाए तो ज्यादा बेहतर होगा. मैंने पाया कि साहित्य से जुड़े लगभग हर शहर में हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन का आयोजन किया जाता या जा रहा है. पर आज तक मैंने जबलपुर में ऐसे किसी सम्मलेन का आयोजन नहीं देखा जहाँ विशेषतः जबलपुर के हिंदी चिट्ठाकारों को आमंत्रित किया गया हो और हिंदी ब्लॉग्गिंग के बेहतर भविष्य के लिए कोई चिंतन किया गया हो... शायद मैं गलत हो सकता हूँ क्योंकि ब्लॉग्गिंग के क्षेत्र में मैं अभी भी नया ही हूँ. 

        अतएव मैं सारे जबलपुर वासियों से ये अनुरोध करना चाहता हूँ कि एक ऐसी ही कोई नयी पहल की जाये जिसमे केवल जबलपुर शहर या मध्यप्रदेश के हिंदी ब्लॉग्गिंग जगत के दिग्गज व नवोदित ब्लॉगर शामिल हों.  क्योंकि जबलपुर का निवासी होने के नाते मैं चाहता हूँ कि ब्लॉग्गिंग जगत में बस एक दो ही हीरे जबलपुर से न हों बल्कि हम जबलपुरवासियों की वजह से सारे हिंदी ब्लॉग्गिंग जगत का आसमान चमक उठे..

       अगर आज आप में से किसी भी जबलपुरवासी का विचार ऐसी किसी संगोष्ठी के आयोजन करने का हो तो कृपया मेरे निम्न विचार या सुझावों को अपने विचारों में शामिल जरुर करें -
  1. पहला ये कि ये संगोष्ठी या सम्मलेन समारोह केवल जबलपुर में ही आयोजित किया जाए.
  2. अगर आपका विचार जबलपुर की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का हो तो बेहतर ये होगा कि सारे ब्लॉग जगत को पता चले कि जबलपुर में ऐसा कोई आयोजन हो रहा है.
  3. सम्मान प्रदान करने वाला शख्स कोई ब्लॉगर, या साहित्यकार ही हो कोई नेता या राजनीति से सम्बंधित व्यक्ति न हो क्योंकि साहित्यकारों और ब्लागरों के मन को केवल ब्लॉगर ही जान सकते हैं कोई नेता नहीं. 
  4. इस संगोष्ठी में उन साहित्यकारों को भी बुलाया जाए जो इन्टरनेट की पर्याप्त जानकारी न होने के कारण अपना ब्लॉग नहीं बना पते या उसे ज्यादा लोकप्रिय नहीं कर पाते. 
  5. अगर संगोष्ठी का आयोजन छोटे लेवल में भी करना चाह रहे हों तो भी कम से कम हिंदी ब्लॉग्गिंग जगत को सूचित करें ताकि सारे जबलपुरिया हिंदी ब्लॉगर ये जान सकें कि जबलपुर में अब भी वो जोश बाकी है जो अब इन्टरनेट पर छाने को तैयार है.

      और अगर मेरी बात से कोई भी ब्लॉगर या साहित्यकार सहमत न हो या कोई भी शंका हो या सुझाव हो तो कृपया मुझे बताएं...

        क्योंकि आज मैं इतना सक्षम नहीं कि ऐसा कोई आयोजन अकेले ही करा सकूँ. पर वादा है मेरा कि आज नहीं तो कल ऐसा कोई आयोजन जबलपुर में जरूर होगा जब भी मैं (आर्थिक रूप से) सक्षम हो जाऊँगा. 

और अंत में...

मत छुपा खुद को अंधियारे में माही
के सारा जहां तेरी चमक देखने को बेकरार बैठा है...
तुझे भी पता है कि चमक से तेरी चमक उठेगा आसमां का हर तारा
अब तू ही बता के ये बेवजह इंतज़ार कैसा है ?

- महेश बारमाटे "माही"

Comments

  1. हो गया आयोजन जबलपुर में, यही समझिए। जबलपुरवालों में इतनी क्षमता है कि वे यह सब आसानी से कर सकते हैं। आप तो बस इतना पता लगा लीजिए कि उड़नतश्तरी जबलपुर में कब लैंड कर रही है?

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  2. @दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi

    द्विवेदी जी !
    उड़न तस्तरी जी के बारे में तो कुछ भी नहीं पता मुझको.
    पर फिर भी मैं उनसे ये निवेदन करूँगा की वे जबलपुर जल्दी पधारें...

    धन्यवाद आपके सहयोग के लिए

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  3. अच्छा विचार है भगवान आपकी इच्छा जल्दी ही पूरी करे , शुभकामनायें

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  4. यह एक अच्छा प्रयास है|

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  5. महेश जी..मेरा भी सुझाव यही है कि बेवजह क्यों आप क्रांति के पीछे पड़े हुये है...."हम सुधरेंगे जग सुधरेगा"...आप अपनी साहित्य सृजनता बनाये रखे....बाकी सब खुद ब खुद ठीक हो जायेगा.........मैने आपको पहले भी कहा है...नवनिर्माण को छोड़कर यदि हम पूर्वनिर्मित में ही संसोधन का विचार करे तो ज्यादा अच्छा होगा.......अन्यथा मत लिजीएगा...मैने अपना विचार रखा है।

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  6. @Er. सत्यम शिवम


    सत्यम जी !
    माफ़ी चाहूँगा कि आपके विचारों पर मैंने गौर नहीं किया
    अगली दफा जरूर याद रखूँगा.
    पर एक जबलपुरवासी होने के नाते खुद के शहर में कुछ अच्छा करवाने कि इच्छा मुझे कभी गलत नहीं लगी.

    @ सत्यम जी !
    माफ़ी चाहूँगा कि आपके विचारों पर मैंने गौर नहीं किया
    अगली दफा जरूर याद रखूँगा.
    पर एक जबलपुरवासी होने के नाते खुद के शहर में कुछ अच्छा करवाने कि इच्छा मुझे कभी गलत नहीं लगी.

    @ सुनील जी तथा पाटली जी - बहुत बहुत धन्यवाद आपकी शुभकामनाओं का...

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  7. महेश भाई-एक स्तर विशेष पर ऐसे कार्यक्रम होते रहे हैं. राष्ट्रीय कार्यशाला का भी पिछले वर्ष आयोजन किया गया था. आप गिरीश बिल्लोरे महेन्द्र मिश्रा विजय तिवारी जी आदि ब्लॉगर्स से संपर्क में आयें.

    विचार बहुत अच्छा है. ऐसे आयोजन नियमित एवं सार्थक प्रारुप के साथ होते रहना चाहिये. निश्चित ही जब जबलपुर आयेंगे - तब तो करना ही है.

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  8. @Udan Tashtari


    समीर जी !
    आपके कहे अनुसार मैंने लगभग सारे जाने माने जबलपुरिया ब्लोग्गेर्स को ईमेल कर दिए हैं.
    आगे आगे देखिये होता है क्या ... ?

    पर दिनेश राय द्विवेदी जी ने आपके आने की तारिख पूछी है..
    जैसे ही सुनिश्चित हो जरूर बताएं...

    क्षमा चाहता हूँ... नया हूँ इसीलिए जबलपुर के सारे ब्लोग्गर्स को नहीं जानता.

    आपके सहयोग के लिए धन्यवाद !

    महेश बारमाटे "माही"

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  9. आयोजन के लिये संठन नहीं सदभाव ज़रूरी है. फ़िर आप जैसा चाहें.

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  10. मेरी राय में हम फ़ोन पर बात कर लें तो बेहतर होगा

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  11. bahut acchi jaankari hai
    rani durgawati ke baare me kuch jaankari yaha bhi hai! "samrat bundelkhand"

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  12. धन्यवाद जो आपने इस पोस्ट को पढकर इस पर् गोर किया क्यों शयद टाइप मिस्टेक होने के कारण यह हुआ होगा पर् मुजहे इसके लिए खेद है !एक बार फिर आपको धन्यवाद में इसे जल्द ही ठीक करुगा
    आते रहिये मेरे ब्लॉग पर्

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