आप देंगे न मेरा साथ ? (Welcome to me)
दोस्तों !
बहुत दिनों बाद आया हूँ, क्या करूँ ? ब्लॉग्गिंग छोड़ना नहीं चाहता था पर मेरे जॉब ने मुझे ऐसे मुकाम पे ला फेका कि इन्टरनेट से दूर ही हो गया था मैं। नेट ऑन करता तो बस इ-मेल देखने के लिए... क्योंकि ब्लॉग्स्पॉट तो लो स्पीड इंटरनेट पे वर्क ही नहीं करता।
पर एक ब्लॉगर को तो बस इन्टरनेट चाहिए कहीं से भी...
और मैंने भी वही किया, बस बीएसएनएल ब्रॉडबैंड की संभावनाओं को तलाशा और इस गाँव में भी पा लिया ब्रॉडबैंड... अब मैं फिर से ब्लॉगिंग मे आ गया...
मुझे आज भी याद है जब मैं रात रात भर ब्लॉगिंग में अपनी नींदे भूल जाया करता था...
मैंने हिन्दी ब्लॉगिंग गाइड के लिए जो कार्य शुरू किया था वो आज भी अधूरा ही लगता है।
तो फिर दोस्तों !
बस एक काम कर दो यार...
मुझे थोड़ी सी,
बस थोड़ी सी ही हिम्मत और आपके प्रोत्साहन की जरूरत है...
अपने अगले लेखों में मैं आपको अब तक कि अपनी कहानी जरूर बताऊंगा, क्योंकि ब्लॉगिंग से दूर हो के भी मैंने बहुत कुछ सीखा है... और मध्य प्रदेश के सरकारी घराने के ऐसे परिवार का मैं अब दामाद बन गया हूँ कि जिसके बगैर आज दुनिया की हर सुख सुविधा और जरूरतें नामुमकिन सी लगती है...
चलो अब बाकी बातें अगली पोस्ट में...
तब तक के लिए करें बस थोड़ा सा इंतज़ार...
- इंजी० महेश बारमाटे "माही"
सहायक प्रबन्धक / कनिष्ठ यंत्री
म॰ प्र॰ मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड
बहुत दिनों बाद आया हूँ, क्या करूँ ? ब्लॉग्गिंग छोड़ना नहीं चाहता था पर मेरे जॉब ने मुझे ऐसे मुकाम पे ला फेका कि इन्टरनेट से दूर ही हो गया था मैं। नेट ऑन करता तो बस इ-मेल देखने के लिए... क्योंकि ब्लॉग्स्पॉट तो लो स्पीड इंटरनेट पे वर्क ही नहीं करता।
पर एक ब्लॉगर को तो बस इन्टरनेट चाहिए कहीं से भी...
और मैंने भी वही किया, बस बीएसएनएल ब्रॉडबैंड की संभावनाओं को तलाशा और इस गाँव में भी पा लिया ब्रॉडबैंड... अब मैं फिर से ब्लॉगिंग मे आ गया...
मुझे आज भी याद है जब मैं रात रात भर ब्लॉगिंग में अपनी नींदे भूल जाया करता था...
मैंने हिन्दी ब्लॉगिंग गाइड के लिए जो कार्य शुरू किया था वो आज भी अधूरा ही लगता है।
मैं ब्लॉगिंग की दुनिया दूर चला गया तो आप लोग भूल गए होंगे मुझे, है न ?
चलो कोई बात नहीं,
अब फिर से आप सभी के दिलों में जगह बनानी है,
मेरे पास अब भी बहुत सी नयी कवितायें और नई कहानी हैं...
बस एक काम कर दो यार...
मुझे थोड़ी सी,
बस थोड़ी सी ही हिम्मत और आपके प्रोत्साहन की जरूरत है...
आप देंगे न मेरा साथ ?
और वो घराना है बिजली का...
जी हाँ ! मैंने अपना एक सपना तो पा ही लिया... चाहा था कि अपने नाम के आगे जो इंजीनियर लिखता हूँ वो सार्थक हो जाये, और देखो; मैं आपकी दुआओं से मैं, अपनी चाहत से, इंजीनियर बन ही गया...चलो अब बाकी बातें अगली पोस्ट में...
तब तक के लिए करें बस थोड़ा सा इंतज़ार...
- इंजी० महेश बारमाटे "माही"
सहायक प्रबन्धक / कनिष्ठ यंत्री
म॰ प्र॰ मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड
स्वागतम
ReplyDeleteधन्यवाद पाबला जी :) :)
Deleteप्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।
धन्यवाद रजनीश जी :)
Deleteस्वागत है इंजीनियर साहब:)
ReplyDeleteस्वागत है..
ReplyDeleteआपका फिर से स्वागत है...
ReplyDeleteशुभकामनायें!
ReplyDeleteभाया इंजीनियर अब आ गए हो तो लौटना मत...रुकना मत.....सराकरी नौकरी है तो खैर अब आराम से ब्लाग पर रहना....नाम के आगे लगा इंजीनियर शब्द सार्थक हो गया है सो एक सपना तो सच हो गया..अगला सपना ब्लॉग पर आते रहने से पूरा होगा.....इंतजार रहेगा कि इन दूरियों में क्या क्या लिखा है...क्या कहानी है क्या गीत है...क्या कविता है.....तो चलिए जल्दी शुरु हो जाइए।
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