डिफॉल्टर विद्युत उपभोक्ता दिवस.. (व्यंग्य)
किसी गाँव में दो पति पत्नी के बीच की बातचीत..
"अजी सुनते हो.."
"क्या हुआ..?"
"अरे! मैंने सुना है कि अपना बिजली का बिल माफ किया जा रहा है.."
"क.. क्या.. क्या बात कर रही हो भागवान.."
"हाँ! सही कह रही हूँ, अभी जब आप अपने नकारा और निकम्मे दोस्तों के साथ जुआ खेलने बाहर बैठे थे न, तो मैं टीवी पे न्यूज सुन रही थी, उसमे बता रहे थे कि सरकार ने हम जैसे लोगों का बिजली का बिल माफ कर दिया है, और तो और हमारे ऊपर जो पिछले साल अस्थायी मोटर पंप कनेक्शन चलाने पर जो कोर्ट केस बना था, न वो भी माफ कर दिया है सरकार ने।"
"अच्छा, और क्या बता रहे थे न्यूज पे..?"
"ज्यादा कुछ नहीं बताया बस ये बताया है कि बिल माफी के लिए बिजली ऑफिस जाना पड़ेगा, बिल लेकर.."
"अब यार! ये बिल कहाँ से लाऊँ?"
" क्यों.. अपने पास बिल नहीं आता क्या?"
"अरे! नहीं भागवान, पिछले महीने जब लाइन मैन बिल लेकर आया था तो मैंने उसको बहुत सुनाया कि बिजली तो आती है नहीं तो बिल काहे का, और बहुत गंदी गंदी गालियाँ देकर बिल उसी के मुँह पर फाड़ के फेक दिया था, सह कहूँ बहुत सुकून मिला था उसकी बेइज्जती कर के"
"अरे जी! अब बिल कहाँ से लाएंगे? एक तो ये बिजली वाले सच मे बिजली तो 24 घंटे देते हैं और आप उनको झूठ बोल के बेइज्जत कर बैठे.."
"तो क्या हुआ, साले जब देखो बिल भी तो मांगते हैं, आखिर बिजली का पैसा तो हराम का पैसा है, देखो सरकार को ये हराम का पैसा अच्छा हुआ जो माफ कर दिया उन्होंने अपना"
"तो क्या हुआ, अब बिना बिल के कैसे माफ करोगे बिल अपना??"
"उसी लाइन मैन की कॉलर पकड़ के बिल ले लूंगा दूसरा, और क्या..? फिर जितनी बिजली जलानी हो जलाओ, बिल तो हर बार ऐसे ही माफ होने हैं.।"
"सही कह रहे हो, एक बार बिल माफ हो जाये, फिर तो हमारे सर से ये बिल के पैसे का बेकार सा बोझ उतर जाएगा.., और एक बात तो मैं बताना भूल ही गई, वो ये कि कल पूरे राज्य में बिल माफी वाले उपभोक्ताओं को सम्मानित करने के लिये विद्युत उपभोक्ता दिवस मनाया जाएगा, जिसमे अपने क्षेत्र के विधायक साहब के द्वारा अपने जैसे डिफॉल्टर उपभोक्ताओं को सम्मानित करेंगे।"
"अच्छा, ये भी सही है, अब तो हम इन साले बिजली वालों के सामने चिल्ला - चिल्ला के सीना तान के कह सकेंगे कि आखिर तुमने क्या बिगाड़ लिया हमारा, एक रुपया भी नहीं निकाल सके हमारी जेब से..."
"पर.., मुझे न वो अपने पड़ोस वाली भाभी जी है ना उन पर दया आ रही है, मैं हमेशा कहती थी कि भैया जी को समझाओ, बिल भरने से क्या होगा, देखो अब तक उन लोगो ने लाखों रुपया बिल में उड़ा दिए होंगे.."
"अरे! बोला तो मैंने भी था उसे, पर वो कब मानता है, उसे तो ईमानदारी का भूत चढ़ा हुआ था, डरपोक कहीं का, अब देखो हमारे जैसे बिल नहीं भरा होता तो आज इतने पैसे बचा तो लेता..।"
"पर उनके पास तो हमारे जितनी ही जमीन है, फिर भी उनका रहन सहन हमसे कितना अच्छा है, और बिल भी हमेशा भरते हैं वो लोग, हाँ! डरपोक तो हैं, पर पढ़ाई में उनके लड़के भी हमारे बच्चों से अच्छे कैसे हैं..?"
"यार! हराम का पैसा किसे पचता है.. पर तु फालतू बातों में ध्यान न दे.. मैं कल ही जाता हूँ इस बिजली के हराम के पैसे को माफ करा के आता हूँ.."
"हाँ, कल आपको जब विधायक जी के हाथों सम्मानित किया जाएगा तो मैं आपकी पसंद के पकवान दोनों हीटरों पे बना के आपको खिलाऊँगी.."
"चल, मैं जाता हूँ, योजना की थोड़ी बहुत और जानकारी ले आऊँ बिजली ऑफिस से, पता नहीं ये आफिस भी कहाँ होगा, बरसों पहले देखा था मैंने.."
"हाँ, ठीक है, आप जाइये.."
(इतने में बिजली चली जाती है)
"ये लाइट को भी अभी जाना था, ये बिजली वाले मर क्यों नहीं जाते, जीना हराम कर रखा है इन लोगो ने..।"
(कृपया बिजली बिल जमा न करने वाले शूरवीर इस व्यंग्य कथा को दिल पे न लें.. हम आपकी बिल जमा न करने और बिजली वालों का अपमान करने की प्रतिभा का सम्मान करते हैं..)
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