F.A.L.T.U.

नमस्कार दोस्तों !

आज फिर मेरा मन कुछ लिखने को कह रहा है. आखिर आज मैं अंतरजाल (इन्टरनेट) पे अपना समय बिता ही रहा हूँ जैसा कि अक्सर यूँही फालतू बैठ के बिताता हूँ. फालतू से याद आया, १२ अप्रेल २०११, को मेरा जन्मदिन था. तो मैंने सोचा कि क्यों न इस दिन को यादगार बनाया जाए, और ऐसा सोचना जायज़ भी है, तो मैंने अपने कुछ दोस्तों के संग सुबह-सुबह निकल पड़ा कोई मूवी (फिल्म) देखने.

हम लोग सिनेमा पहुंचे तो सब ने सोचा क्यों न "फालतू" (F.A.L.T.U.) फिल्म ही देख ली जाए. बस फिर क्या था हमने टिकेट ले ली और फिल्म देखने लगे. जैसा कि आप शायद जानते हैं कि ये फिल्म उन छात्रों के जीवन पर आधारित है जिनके कभी अच्छे marks आये ही नहीं. इस फिल्म में कुछ इसी तरह के छात्र मिल के एक फर्जी कॉलेज खोल लेते हैं जहाँ वो हर चीज सिखाई जाती है जो वो लोग सीखना चाहते हैं. कॉलेज में कोई शिक्षक नहीं था, पर जब उनको शिक्षक की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने उन शिक्षकों की शिक्षा को ही अपने कॉलेज में ले आये और फिर क्या था ? उस कॉलेज के सारे के सारे छात्रों (जो कि दुनिया की नज़र में बस useless या कबाड़ थे) में से हुनर के हीरों की बरसात सी होने लगी.

मैं यहाँ उस फिल्म की बधाई करने के लिए नहीं आया, बस इतना कहना चाहता हूँ कि किसी ने आज तक सचमुच का ऐसा कोई शिक्षण संस्थान खोलने की जरूरत महसूस क्यों नहीं की? जहाँ वही पढाया जाए जिसमे छात्र की रूचि हो न कि अभिभावक की. हर इन्सान अपना Best दे सकता है, पर जरूरी नहीं कि सिर्फ पढ़ाई में ही  दे. 

अंत में बस इतना कहना चाहूँगा कि हमारे Education System को बदलाव की जरूरत है... और इस विषय पे बहस की भी...

No one is useless here, so never use less any one.

Mahesh Barmate
15th April 2011

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