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Showing posts from 2010

बेवफा

बेवफा         " एकता , जो कल तक तक आकाश के साथ अक्सर दिखाई देती थी, आज वह बिल्कुल अकेली और उदास नज़र आती है. कारण भी तो बहुत ख़ास और दुखद है, कुछ दिनों पहले आकाश की  एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी... भरी जवानी में बेचारे की मौत का सदमा बर्दाश्त करना एकता के बस में ना था.. एकता और आकाश एक दूसरे को दिलो-जाँ से चाहते थे.. प्यार की हद तक दोनों ने एक दुसरे को चाहा, साथ जीने मरने की कसमें तक खाईं दोनों ने, पर होनी को कौन टाल सकता है...                        वो चला गया मुझको यूँ तन्हा छोड़ कर                        के क्या होगा अब मेरा बस उसके बगैर...                                       मेरी जिंदगी का हर लम्हा उसके प्यार में था जी रहा,                        ...

एक नया दिखावा

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एक नया दिखावा Hello दोस्तों,     बहुत दिनों से हमारे शहर "जबलपुर" में एक नया दिखावा सुर्ख़ियों में है.  यहाँ के एक प्रतिष्ठित अखबार में हर रोज आ रहा है कि "आज कुछ लोगों ने मिलकर गुटखे, पान मसाला इत्यादि के पाउच के विरोध में प्रदर्शन किया. उनमे अधिकांशतः युवा वर्ग का योगदान देखने को मिलता है". वैसे कहा जाए तो ये जो हो रहा है वो सब अच्छा ही हो रहा है... पर क्या ये एक प्रकार का दिखावा नहीं है ? क्योंकि इस विरोध में शामिल युवा वर्ग के लगभग सभी सदस्य चोरी छुपे इसी पान मसाले - गुटखे वगैरह के साथी भी हैं.. मेरा मतलब है कि ये लोग एक तरफ तो इन जहरीली वस्तुओं का चोरी छुपे सेवन करते हैं, और दूसरी तरफ ये इन चीजों का विरोध भी करते नज़र आते हैं... आज कल जहाँ सब कुछ झूठी लोकप्रियता के लिए किया जा रहा है, तो कोई ये कैसे मान ले कि ये लोग जो कुछ भी कर रहे हैं वो बस निःस्वार्थ भाव से किया जा रहा है.. और इसमें शामिल एक भी व्यक्ति ने कभी इन जहरीले पदार्थों का एक भी बार सेवन ना किया हो...    मेरा बस इतना कहना है कि अगर विरोध ही करना...

भोपाल गैस त्रासदी : क्या अमेरिका से डर गया भारत?

भोपाल गैस त्रासदी : क्या अमेरिका से डर गया भारत? माना कि कांग्रेस सरकार १५००० करोड़ का मुआवजा दे कर भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ित लोगों का भला कर रही है.. पर क्या सिर्फ रुपये दे कर उन लोगों का दुःख बांटा जा सकता है जो आज तक एंडरसन के किये कि सजा भुगत रहे हैं? मेरी मानो तो कभी नहीं... क्योंकि २६ साल होने को आये हैं और आज तक किसी ने भी ये जानना नहीं चाहा कि आखिर एंडरसन रातों रात कैसे गायब हो गया, अगर आज हमारी मीडिया नहीं होती तो ये मुमकिन भी न होता कभी, आज भोपाल कि जानता के लिए सिर्फ एंडरसन ही नहीं बल्कि वो सभी लोग दोषी हैं जिन्होंने एंडरसन को भागने में मदद की. और आखिर क्यों की गई उसकी मदद, क्या अमेरिका से डर गया भारत? अगर ऐसा था तो आज हमको "मेरा भारत महान" के नारे लगाने पर भी शर्म आनी चाहिए... "मेरा भारत महान" इतना महान कि वो अपने गुनाहगार से डर गया, उससे डर गया जिसने भारत माँ के सीने में गोली चलने जैसा घिनौना अपराध किया है... आज २५ साल हो गए इस गैस त्रासदी को, जिसके बारे में सारी दुनिया को पता है, पर आज तक भुगत तो सिर्फ भोपाल कि आम जनता रही है... क्या होता अगर उस वक़्...

सच या झूठ...?

सच या झूठ ...? बचपन में, जब बच्चा बोलना, समझना सीखने लायक हो जाता है, तब से उसे उसके PARENTS हमेशा यही सीख देते हैं की "बेटा ! सच का साथ कभी मत छोड़ना, चाहे कुछ भी हो सच ही बोलना, हर वक़्त - हर एक situation में"। और फिर वो बच्चा इन्ही अच्छी सीखोंके साथ बड़ा होता है। हर जगह, हर बात में , यहाँ तक कि हर एक रिश्ते में वो सच्चाई का साथ निभाता है, क्योंकि उसके बाल-मन में एक बात अच्छी तरह से घर कर गई होती है कि "झूठ की बुनियाद पर कोई भी रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं टिक सकता"। अब वो बालक और बड़ा होता है और जवानी की दहलीज पर कदम रखता है। जवानी की दहलीज पर भी वो बालक जो भी नए रिश्ते बनता है उनमे हमेशा ही सच्चाई का पूरा साथ देता है। वो उन रिश्तों में कभी भी झूठ का साया भी पड़ने नहीं देना चाहता और अपने इस उद्देश्य में वो कामयाब भी होता है। यद्यपि वो शख्श जिसके साथ वो ये नया रिश्ता जोड़ता है (नए रिश्ते से मेरा तात्पर्य - दोस्ती या प्यार से ही है) वो झूठा है। पर ये जान कर भी वो बालक अपने सच के मार्ग से विचलित नहीं होता। वो हर वक़्त हर कदम पर हमेशा ही उसके सामने सच्चाई ही पेश करता है।...