तुम केपीओ हो, केपीओ.. (व्यंग्य)
सदियों से इस देश में निचले वर्ग का शोषण हो रहा है, और अब तो ये रिवाज हो गया है। पहले जाति के नाम पर शोषण होता था, आज गरीबी और पद के नाम पर होता है। अमीरों के द्वारा गरीबों का शोषण तो पहले भी होता ही था और अब भी होता ही है, पर जाने कब से प्रथा सी बन गई है कि आप अगर निचले पद पर हों तो आपका शोषण ऊँचे पद वाले व्यक्ति विशेष जरूर करेंगे। और खास तौर पे हमारे सरकारी विभागों के कार्यालयों में। बात इतनी सी है कि छोटा कर्मचारी अगर शिकायत करेगा तो उसकी सुनेगा कौन? और अगर वह कर्मचारी बाह्य स्त्रोत मेरा मतलब है कि आउट सोर्स से हो तो वो तो कुछ कर ही नहीं सकता, क्योंकि नौकरी जाने का डर तो सबको होता है न। बाह्य स्त्रोत की बात से याद आया कि आज कल जाने कहाँ से सरकारी विभागों ने फंडा बना रखा है कि कर्मचारियों की कमी को आउट सोर्स के माध्यम से ही भरा जावे। वैसे आउट सोर्स व्यवस्था के बहुत सारे फायदे हैं, कुछ एक बता ही देता हूँ। पहला तो ये, कि नियमित कर्मचारी को जहाँ मोटी मोटी रकम सैलरी के तौर पे दी जाती थी, वहीं आज आउटसोर्सिंग के माध्यम से 5 गुना कम कीमत में नवीन बेरोजगार युवा पीढ़ी को रोजगार मिल ज...