आप तो बड़े शौकीन हैं.. (व्यंग्य)

भाई, मैंने अब तक की अपनी ज़िन्दगी में तरह - तरह के शौक रखने वाले देखे हैं, किसी को क्रिकेट देखने का शौक, तो किसी को क्रिकेट खेलने का शौक, किसी को कुछ खाने का शौक, तो किसी को कुछ पीने का शौक, लाखों तरह के शौक पालते हैं लोग। अब हिन्दी के मशहूर व्यंग्यकार "श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी" के व्यंग्यों में कथित "रामभरोसे जी" को ही देख लो, उसे भी सरकार से नई - नई आशाएं रखने का शौक है, पर इस शौक के चलते वो बेचारा लगभग हर बार वोट बैंक की राजनीति में फंस ही जाता है और दूर न जाये, आप मुझे ही देख लो मैंने भी तो लिखने का शौक पाल रखा है। खैर! मेरी छोड़ो..। आदि काल से ही तरह -  तरह के शौक रखना इंसान की फितरत में ही होता आ रहा है, अगर ऐसा न होता तो कोलंबस ने अमेरिका न खोजा होता। मेरे ख्याल से कोलंबस भाई को यात्राएं करने का शौक रहा होगा, और अगर वो भारतीय होता तो घर वाले तो उसे अपनी गली से भी बाहर नहीं जाने देते। उससे हर पल यही पूछते कि तुझे क्या पड़ी है अमेरिका खोजने की, ये काम कोई और नहीं कर सकता क्या? वगैरह वगैरह सवालातों से बेचारे कोलंबस भाई का जीना हराम कर दिया होता। और वो अमेरिका खोजने के महान कार्य को नहीं कर पाते।

यात्रा के शौक से याद आया, कि पिछले कुछ दिनों से कुछ ऐसे लोगों से मिलना हो रहा है जो एक अलग ही तरह का शौक रखते हैं। और वो शौक है, रेल गाड़ी की समय सारिणी को याद रखने का शौक। ये लोग अगर कहीं जा रहे हैं और सामने से ट्रेन आते दिख जाए, या फिर पास के रेलवे स्टेशन से ट्रेन का हॉर्न ही क्यों न सुन ले, ये बता देते हैं कि फलां फलां गाड़ी ही है जो फलां फलां जा रही होगी। दिन, समय, स्पीड का जोड़ घटाना कर के ये बता देते हैं कि इस वक़्त कौन सी गाड़ी, कितनी स्पीड से किस तरफ जा रही है, तथा उसका नाम क्या है, उसकी पहचान, बोले तो सुपर फास्ट है, एक्सप्रेस है या पैसेंजर गाड़ी है, सब बता देते हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं आपको ये सब क्यों बात रहा हूँ? तो भाई साहब मैं इस शौक से परेशान हो गया हूँ, क्योंकि रेलवे फाटक से कौन सी ट्रेन निकल रही है इससे मेरा कोई भी लेना देना नहीं है, पर अपनी प्रिय श्रीमती जी को कौन समझाए कि उनके इस शौक से मेरे कान पक जाते हैं, पर टिपिकल भारतीय पति होने के नाते, चुपचाप ट्रेनों का लेखा जोखा सुनना मेरी मजबूरी बन गया है। दिन हो या रात, सुबह हो या शाम, अगर ट्रेन की आवाज भी आ गई, तो मुझे ज्ञात हो ही जायेगा कि इस वक़्त कौन सी ट्रेन कहाँ और किस प्रोफाइल के साथ जा रही है।

हर बात में अच्छाई ढूँढने की आदत से मजबूर मैं सोचता हूँ कि श्रीमती जी की इस आदत से मेरा सामान्य ज्ञान बढ़ तो रहा ही है, और श्रीमती जी की बुद्धि भी थोड़ी तेज भी हो रही है, अतः आप लोगों से विशेषकर इस तरह की विलक्षण प्रतिभा या शौक रखने वाले पति अथवा पत्नियों जी से अनुरोध है कि अपने प्रियवर के ऐसे शौक में कोई न कोई अच्छाई ढूंढ लीजिये फिर आपको भी ज़िन्दगी जीने का नया शौक लग जायेगा और उनसे ये कहने का मौका भी मिल जाएगा कि "आप तो बड़े शौकीन हैं.."।

Comments

  1. "रामभरोसे जी" को ही देख लो, उसे भी सरकार से नई - नई आशाएं रखने का शौक है..श्रीवास्तव जी के खास हैं :)

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    1. जी बिल्कुल...
      मेरे ब्लॉग में सालों बाद आने के लिए आपका आभार 🙏🙏

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