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तुम केपीओ हो, केपीओ.. (व्यंग्य)

सदियों से इस देश में निचले वर्ग का शोषण हो रहा है, और अब तो ये रिवाज हो गया है। पहले जाति के नाम पर शोषण होता था, आज गरीबी और पद के नाम पर होता है। अमीरों के द्वारा गरीबों का शोषण तो पहले भी होता ही था और अब भी होता ही है, पर जाने कब से प्रथा सी बन गई है कि आप अगर निचले पद पर हों तो आपका शोषण ऊँचे पद वाले व्यक्ति विशेष जरूर करेंगे। और खास तौर पे हमारे सरकारी विभागों के कार्यालयों में। बात इतनी सी है कि छोटा कर्मचारी अगर शिकायत करेगा तो उसकी सुनेगा कौन? और अगर वह कर्मचारी बाह्य स्त्रोत मेरा मतलब है कि आउट सोर्स से हो तो वो तो कुछ कर ही नहीं सकता, क्योंकि नौकरी जाने का डर तो सबको होता है न।  बाह्य स्त्रोत की बात से याद आया कि आज कल जाने कहाँ से सरकारी विभागों ने फंडा बना रखा है कि कर्मचारियों की कमी को आउट सोर्स के माध्यम से ही भरा जावे। वैसे आउट सोर्स व्यवस्था के बहुत सारे फायदे हैं, कुछ एक बता ही देता हूँ।  पहला तो ये, कि नियमित कर्मचारी को जहाँ मोटी मोटी रकम सैलरी के तौर पे दी जाती थी, वहीं आज आउटसोर्सिंग के माध्यम से 5 गुना कम कीमत में नवीन बेरोजगार युवा पीढ़ी को रोजगार मिल ज...

बेलन, बीवी और दर्द (व्यंग्य)

शीर्षक पढ़ के क्या सोच में पड़ गए जनाब..? कहीं आपको आपकी ज़िंदगी का कोई किस्सा तो याद नहीं आ गया? अजी मैं उसी बेलन का ज़िक्र कर रहा हूँ जिसके बगैर एक आदर्श भारतीय घर का किचन अधूरा होता है..। यूँ तो हम सभी जानते हैं कि बेलन का महत्व हम सब की ज़िन्दगी में क्या होता है और क्यों..? यार! बेलन न हो तो रोटी बनाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, बेलन न हो तो आपके फेवरेट पराठे और गरमागरम पूड़ियाँ कैसे बनेंगी? सोचो कि अगर बेलन का आविष्कार नहीं हुआ होता तो आज हम तरह तरह की डिश का लुत्फ कैसे उठाते..? न रोटियाँ सही आकार व मोटाई में मिलती, न पराठे व पूड़ियाँ और न ही खाने के साथ हमेशा साथ देने वाले तरह - तरह के पापड़ का हम लुत्फ़ उठा पाते.. मैं तो हमेशा से ही इन छोटी - छोटी चीजों के आविष्कारकों  को नमन करता रहता हूँ कि आखिर उनके ही कारण मेरा जीवन आसान बन पाया है। ये तो रहा बेलन का पहला पहलू.. अब बात रही एक अन्य पहलू की.. हालांकि बेलन किसी सिक्के की तरह गोल नहीं होता कि इसका कोई दूसरा पहलू हो, पर व्यहवारिकता में तो इसके एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन पहलू होते हैं, जो मैंने अभी अभी जाने हैं।  तो मैं बात कर रहा थ...

Dhanno, Basanti aur Basant... (धन्नो, बसंती और बसंत)

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नमस्कार दोस्तों! बहुत दिनों बाद, कुछ दिल से... लिखने का मन किया... हालांकि मैं अक्सर दिल से ही लिखता हूँ, फिर भी आज सोचा आपसे साझा किया जाये तो बहुत अच्छा होगा। मेरे इस लेख के शीर्षक से आपको सुप्रसिद्ध हिन्दी फीचर फिल्म "शोले " की याद आ गई होगी। और शायद आप सोच रहे होगे कि मैं बीते जमाने की इस सुपरहिट फिल्म के बारे में कुछ नया या फिर कुछ घिसपिटा सा सुनाने वाला हूँ। तो दोस्तों! ऐसा कुछ भी नहीं है।  मैं तो आदरणीय व्यंग्यकार, जिन्हे ब्लॉग जगत में सभी जानते हैं, श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी द्वारा रचित व्यंग्य संकलन " धन्नो, बसंती और बसंत " के बारे में अपना अनुभव आपके साथ साझा करना चाहता हूँ। और सच कहूँ तो यह पहला व्यंग्य संकलन है जिसे मैंने पढ़ा है। हालांकि मैंने और भी कई किताबें पढ़ी हैं पर व्यंग्य पहली बार।  इस किताब की शुरुआत में ही मुझे हास्य और व्यंग्य दोनों विधाओं में जो सूक्ष्म अंतर है वो समझ में आ गया। डेली हंट ई-बुक्स के एण्ड्रोइड एप के माध्यम से मुझे उनका यह संकलन पढ़ने को मिला। अभी कुछ दिन पहले ही मैंने यह किताब (ई- बुक) डाउनलोड की और अब भी पढ़ ही रहा हू...

बड़े दिनों बाद...

आज बहुत दिनों बाद, जब ब्लॉगर की प्रोफ़ाइल देखने का ख्याल आया, तो देखने बैठ गया कि आखिर किन किन ब्लॉग में मैं कभी लिखा करता था। ऐसा लगा जैसे कई पुरानी डायरियों को अलमारी से आज निकाला हो। ऐसे कई ब्लॉग हैं, जो आज भी मेरे बगैर निरंतर लिखे जा रहे हैं, और ऐसे भी कुछ ब्लॉग मिले, जिनमे अब कोई नहीं लिखता। समय की कमी, न जाने कितने प्रतिभावान लेखको, कवियों को वक़्त की धुंध में पीछे छोड़ देती है। पर वक़्त चलता रहता है। निरंतर, हमेशा ही।  शायद आपके मन में ख्याल आ रहा होगा कि आज कैसे मैंने लिखने की सोची ? कैसे इतने दिन बाद वापस ब्लॉगर खोल के अपने ब्लोगों को टटोला ?  हुआ कुछ यूं, कि कल रात हमारे ऑफिस के ओफिशियल व्हाट्सएप ग्रुप में कुछ लोगों ने मुझे पढ़ा, और उनकी प्रेरणा से आज मैं इस मुकाम पर आया हूँ, के कुछ लिखने को मन करने लगा।  आज बड़े दिनों बाद अपने फेसबुक पेज को देखा, लगा कि यार ये तो न जाने कब से बंद पड़ा है। उसे वापस चालू करने में कुछ परेशानियाँ थीं, तो सोचा एक नया पेज बना लूँ। तो लीजिये, एक नया पेज झटपट बना लिया। चलिये आज आया हूँ तो ये नई खबर दे ही दूँ।  https://www.fac...

ये सफ़र, ज़िन्दगी है।

करीब 2 साल बाद.. आज फिर लिख रहा हूँ। ऐसा लग रहा है जैसे लिखना भूल ही गया था। पर आज जो लिखने वाला हूँ, यक़ीनन आपको जरूर पसंद आएगा। कुछ दिन पूर्व, मैं कुछ चिंताओं से घिरा हुआ था, सोच रहा ...

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ! (Happy Independence Day)

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        स्वतंत्रता दिवस  एक ऐसा दिन जो अमर शहीदों के बलिदान की याद दिलाता है। जो हमें भारतीय होने का एहसास दिलाता है। आज भी जब उन शहीदों के बलिदान की कहानी याद करता हूँ तो जरूर आँखों में अश्क आ ही जाते हैं। खैर ! ये दिन जितना अमर शहीदों को याद करने का है उतना ही सभी भारतीयों की जीत का जश्न मनाने का भी है।  कल हम भारतीयों के लिए बहुत ही उत्साह वर्धक और गर्व से परिपूर्ण पर्व है -           मैं जब छोटा था तो हर 15 अगस्त को मैं स्कूल सुबह - सुबह जाता और अपने स्कूल के प्रिन्सिपल सर को, घर में टीवी में अपने देश के प्रधानमंत्री को लाल क़िले में, और सरकारी दफ्तरों में विभाग प्रमुख द्वारा  अपना राष्ट्रीय ध्वज "तिरंगा" फहराते देखता तो गर्व महसूस करता था कि क्या किस्मत पाई है कि वो लोग अपना "तिरंगा" फहरा रहे हैं। ऐसे में उन लोगों के प्रति सम्मान की भावना और भी बढ़ जाती थी। और ये भी सोचता था कि वो भी खुद में कितना गर्व महसूस करते होंगे कि उन्हे ये सुनहरा मौका मिला है कि देश का तिरंगा इस पावन दिन के लिए फहराने मिल रहा है।  ...

छूट या लूट ... ?

छूट ...  छूट ... छूट ... इस छूट ने अच्छे - अच्छे सरकारी विभागों को आज लिया है लूट ...  जी हाँ ! आज सरकार ने अपने ही कई विभागों में छूट का प्रावधान रख के उन विभागों के लिए नर्क के द्वार खोल दिए हैं। बस चंद वोट की खातिर आम जनता को पंगु तथा बेईमान बना रही है आज सरकार। मैं अन्य सरकारी विभागों के बारे में तो ज्यादा नहीं बता सकता मगर मैं जिस विभाग से हूँ उसमे तो सरकार ने तो हद कर के  रखी है। बिजली ... किसी भी देश, प्रदेश की रीढ़ की हड्डी कहलाती है क्योंकि बिन बिजली कोई भी देश विकास नहीं कर सकता, और आज के दौर में तो फसलें भी बिना बिजली के पैदा नहीं होती। और आज हमारे देश में अगर कोई प्रदेश सरकार गिरती है तो मुख्य मुद्दा बिजली का ही होता है। इसी कारण कुछ दिनों पहले हमारे प्रदेश के मुख्य मंत्री जी ने किसानो के बिलों पे सरचार्ज माफ़ कर के ५० % बिल माफ़ करने की घोषणा कर दी, जाने क्या सोचा और घोषणा कर दी। ये भी नहीं सोचा की ये मार्च है, वित्तीय वर्ष का अंतिम महिना। इसमें बिजली बिल माफ़ करने की घोषणा बिना किसी लिखित आदेश के करना बिजली के अध...