Posts

थैंक्यू बेटी

आज मैंने अपनी बेटी से 1 सीख सीखी, अब कोई कह सकता है है कि वह तो बस 1 साल की है, वह क्या ही सिखा सकती है? पर ऐसा हुआ है, आज उससे मुझे 1 सीख मिली है। सीख से पहले मैं वो किस्सा बताना चाहूँगा जिसमें मुझे ये अनमोल सीख मिली है।  आज मेरी बेटी और मैं, हम दोनों अपने बिस्तर पर खेल रहे थे। अभी कुछ दिन पहले ही उसने अपने पैरों पर चलना शुरू ही किया है, वो डगमगाते हुए कदमों से जब मेरी तरफ आती है तो बड़ी प्यारी लगती है। और ऐसे ही आज जब वो मेरी तरफ आ रही थी तो अनबैलेंस होकर वो बिस्तर पर बैठ गई, पर वो नहीं रोयी। वो और ज्यादा खिलखिला कर हंसने लगी। फिर उसकी हँसी को बरकरार रखने के लिए मैंने उसके लिए ताली बजायी। जिससे उसे और मजा आया। जिसके बाद वह बार - बार मेरी तरफ आती और जानबूझ कर अनबैलेंस हो कर बैठ जाती, और हंसते हुए तालियाँ बजाने लगती। इस सब किस्से में मुझे उसके गिरने और खुद के लिए ताली बजाने से ये सीखने को मिला कि आखिर क्या हुआ जो आप अपने किसी काम या मिशन में फेल हो गए, आप उस वक़्त भी मुस्कुरा सकते हैं, मुस्कुरा ही क्यों खिल कर हँस भी सकते हैं और खुद को अपनी की गई कोशिश के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते ह...

कल्याण मित्रता (Good Company)

    कल्याण मित्रता अर्थात भली संगति, जिसके बारे में गौतम बुद्ध ने कहा है कि            " भिक्खुओं ! मैं और कोई दूसरी ऐसी बात (धम्म) नहीं देखता जिससे अनुत्पन्न कुशल धर्म उत्पन्न हो जाते हैं और उत्पन्न अकुशल - धर्मों की हानि होती है, जैसे कि भिक्खुओं, यह भली संगति (कल्याण - मित्रता) । भिक्खुओं! भली संगति करने वाले के अनुत्पन्न कुशल धर्म उत्पन्न हो जाते हैं और उत्पन्न अकुशल - धर्मों की हानि होती है। "     जैसा कि हम बचपन से अपने बड़ों से, अपने शिक्षकों इत्यादि से ये बात सुनते आ रहे हैं कि अच्छी संगत में रहने में ही भलाई होती है, अच्छी संगत (good company) में हमें अच्छी बातें सुनने और सीखने को मिलती है, ऐसे में बचपन में हमें ये कौन बताये कि आखिर किस बच्चे से दोस्ती करने में अच्छी संगत होगी ? बस हम ये समझ लेते हैं कि जो क्लास में टॉप करता है या जो थोड़ा ज्यादा ही एक्टिव टाइप का बच्चा है उसके साथ दोस्ती कर लेना ही अच्छी संगत में रहना होता है. खैर! बालमन के लिए ये ही अच्छी संगत हो सकती है, पर जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं हमारी सोच, हम...

डर की सकारात्मकता

Image
      एक वैश्विक महामारी ( कोविड 19 या कोरोना वायरस ) के दौर में अकेले बैठे - बैठे आज बस यूं ही याद आया कि कभी मैं डर की वकालत किया करता था, क्योंकि मैंने अक्सर डर को सकारात्मक रूप से आगे रख कर उससे जीत हासिल की है। अब आप सोच रहे होंगे कि मैं क्या बकवास कर रहा हूँ। सच कहूँ, आज मैं कोई बकवास नहीं कर रहा। जब छोटा था, स्कूल में परीक्षा में फेल होने से डरता था, इसीलिए थोड़ी और मेहनत करता था। उस मेहनत के कारण ही मैंने सफलता के कई मुकाम हासिल किए हैं। और मैं डर को कभी बुरा नहीं मानता था, न ही किसी भी बुरी आदत को। क्योंकि अगर बुराई नहीं होगी अच्छाई का भान कैसे होगा। अगर अंधेरा नहीं होगा तो उजाले का महत्व कैसे पता चलेगा? बस मेरी इसी सोच ने अक्सर मुझे आगे बढ़ने को प्रेरित किया है।        आज के दौर में जब सभी देश एक वैश्विक महामारी से लड़ रहे हैं और अपने नागरिकों को इस बीमारी कोरोना वायरस से बचने को बोल रहे हैं तो मुझे लगा कि मैं तो शायद इस से लड़ना पहले से ही जानता हूँ, क्योंकि अब तक वही तो करता आ रहा हूँ। और वो उपाय है - डर ।      क...

जब बाई कहे बाई बाई.. (व्यंग्य)

आज अपनी श्रीमती जी को, जो कि एक गृहिणी होने के साथ - साथ वर्किंग वुमन भी हैं, बड़ी ही बेबसी में देखा हमने। अब पत्नी जी का मिजाज खराब हो तो हम भी कश्मकश में पड़ गए, आखिर हुआ क्या..? ये बात...

सब्जी क्या बनाऊँ : एक राष्ट्रीय समस्या (व्यंग्य)

 हमारे भारत में राष्ट्रीय तौर पर उभर रही है एक समस्या, जिससे समस्त गृहणियाँ और साथ में बेचारे पति भी परेशान रहते हैं, उससे न जाने कितने परिवारों में दिन में न जाने कितनी बार मनमुटाव, लड़ाई झगड़ा और यहाँ तक कि मार पीट की भी नौबत आ जाती है, उस समस्या का नाम है - " सब्जी क्या बनाऊँ?" जी हाँ! इस समस्या से मेरे हिसाब से लगभग हर पति परेशान हुआ जरूर होगा। वैसे तो ये समस्या केवल गृहणियों की ही है पर इसके साइड इफ़ेक्ट तो सबसे ज्यादा पतियों को ही झेलने पड़ते हैं। और ये समस्या अक्सर शाम के वक़्त ही देखने को मिलती है, क्योंकि हमारे देश के सर्वाधिक पति जब भी काम से घर लौटते हैं, उनसे ये बात जरूर पूछी जाती है, कि सब्जी क्या बनाऊँ? अब ऐसे में बेचारा पति जो ऑफिस से बॉस की खरीखोटी सुन के आया हो, किसी उपभोक्ता से या अपने क्लाइंट से अपनी कंपनी या विभाग की गलत नीतियों को सही साबित करने के चक्कर में ही कुछ जबरदस्त टाइप की बहस कर के आया हो, उसके दिमाग मे अब भी उसी बॉस, क्लाइंट या उपभोक्ता की बातें घूम रही हों, तो भी वो खुद को नॉर्मल सा दिखाने के चक्कर में मन को शांत कर रहा हो, तभी उनकी प्रिय पत्नी जी न...

आप तो बड़े शौकीन हैं.. (व्यंग्य)

भाई, मैंने अब तक की अपनी ज़िन्दगी में तरह - तरह के शौक रखने वाले देखे हैं, किसी को क्रिकेट देखने का शौक, तो किसी को क्रिकेट खेलने का शौक, किसी को कुछ खाने का शौक, तो किसी को कुछ पीने का शौक, लाखों तरह के शौक पालते हैं लोग। अब हिन्दी के मशहूर व्यंग्यकार "श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी" के व्यंग्यों में कथित " रामभरोसे जी " को ही देख लो, उसे भी सरकार से नई - नई आशाएं रखने का शौक है, पर इस शौक के चलते वो बेचारा लगभग हर बार वोट बैंक की राजनीति में फंस ही जाता है और दूर न जाये, आप मुझे ही देख लो मैंने भी तो लिखने का शौक पाल रखा है। खैर! मेरी छोड़ो..। आदि काल से ही तरह -  तरह के शौक रखना इंसान की फितरत में ही होता आ रहा है, अगर ऐसा न होता तो कोलंबस ने अमेरिका न खोजा होता। मेरे ख्याल से कोलंबस भाई को यात्राएं करने का शौक रहा होगा, और अगर वो भारतीय होता तो घर वाले तो उसे अपनी गली से भी बाहर नहीं जाने देते। उससे हर पल यही पूछते कि तुझे क्या पड़ी है अमेरिका खोजने की, ये काम कोई और नहीं कर सकता क्या? वगैरह वगैरह सवालातों से बेचारे कोलंबस भाई का जीना हराम कर दिया होता। और वो अमेरि...

डिफॉल्टर विद्युत उपभोक्ता दिवस.. (व्यंग्य)

किसी गाँव में दो पति पत्नी के बीच की बातचीत.. "अजी सुनते हो.." "क्या हुआ..?" "अरे! मैंने सुना है कि अपना बिजली का बिल माफ किया जा रहा है.." "क.. क्या.. क्या बात कर रही हो भागवान.." "हाँ! सही कह रही हूँ, अभी जब आप अपने नकारा और निकम्मे दोस्तों के साथ जुआ खेलने बाहर बैठे थे न, तो मैं टीवी पे न्यूज सुन रही थी, उसमे बता रहे थे कि सरकार ने हम जैसे लोगों का बिजली का बिल माफ कर दिया है, और तो और हमारे ऊपर जो पिछले साल अस्थायी मोटर पंप कनेक्शन चलाने पर जो कोर्ट केस बना था, न वो भी माफ कर दिया है सरकार ने।" "अच्छा, और क्या बता रहे थे न्यूज पे..?" "ज्यादा कुछ नहीं बताया बस ये बताया है कि बिल माफी के लिए बिजली ऑफिस जाना पड़ेगा, बिल लेकर.." "अब यार! ये बिल कहाँ से लाऊँ?" " क्यों.. अपने पास बिल नहीं आता क्या?" "अरे! नहीं भागवान, पिछले महीने जब लाइन मैन बिल लेकर आया था तो मैंने उसको बहुत सुनाया कि बिजली तो आती है नहीं तो बिल काहे का, और बहुत गंदी गंदी गालियाँ देकर बिल उसी के मुँह पर फाड़ के फेक दिया था, सह क...