अपील...

कल मैंने एक लेख लिखा था, उसमे एक नए साझा ब्लॉग का उद्देश्य तथा सभी ब्लॉगरगण को खुला निमंत्रण दिया था मैंने..
अफ़सोस की बात है कि उस लेख को बहुत कम ही लोगो ने काम का समझा और शायद या तो बाकियों ने उसे देखा ही नहीं या फिर... (अब आप लोग तो समझदार हैं ही)...

फिर भी मैं अख्तर खान "अकेला" जी, डॉ. अनवर जमाल खान जी, अवनीश सिंह जी, रमेश कुमार जैन "सिरफिरा" जी तथा अंजू चौधरी जी का शुक्रगुजार हूँ कि उन्होंने मेरा लेख पढ़ा और मुझे शुभकामनाएं भी दी और इनमे से कुछ ने इस साझा ब्लॉग के सन्दर्भ में पूछा भी. 

आगे कुछ भी लिखने से पहले मैं उन सभी ब्लौगर्स से कहना चाहूँगा जिसने मेरा पूर्व लेख न पढ़ा हो, वो आगे न पढ़ें, ताकि शिकायत का कोई मौका ही न मिले. 

दोस्तों ! शायद ब्लॉग्गिंग जगत को जब पहली बार मैंने कुछ सुझाव दिए थे तब से मेरे इस दुस्साहस के कारण लोगों ने मुझे नकारना शुरू कर भी दिया होगा. और इस सम्भावना का ज़िक्र मैंने अपने एक लेख में भी किया था. खैर जो भी हो, मुझे क्या ?
मेरा काम तो लिखना है और मैं लिखे जा रहा हूँ. पर मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि आप मेरे लेख पढ़ते हैं उनमे लिखी बातों को समझते हैं उसके बाद भी अगर आप मेरा साथ देने आगे नहीं आ रहे तो इसका मतलब आप अपने आप से डरते हैं, आप किसी और को तरक्की करते नहीं देखना चाहते, आप किसी की तरक्की का साथी नहीं बनना चाहते...
माफ़ी चाहूँगा कि मैंने ऐसा कह कर शायद आपका अनादर किया होगा, पर जो बात मुझे सच लगी वो बात मैंने कह दी. जिस दिन मुझे यही बात गलत लगेगी मैं अपने शब्द वापिस ले लूँगा...

देखिये मैं आपको जबरदस्ती कोई काम करने नहीं बोल रहा क्योंकि मैं कोई भारत सरकार नहीं कि बोल दिया कि आपको टैक्स भरना है तो भरना ही होगा, पेट्रोल के दाम बढ़ेंगे तो बस बढ़ेंगे... अगर आपको मेरे विचार नापसंद आयें तो कृपया मुझे अवगत कराएँ... बस इतना ही चाहता हूँ मैं...

इस लेख को मैं किसी और साझा ब्लॉग में नहीं डाल रहा हूँ क्योंकि वहाँ मैं उस साझा ब्लॉग कि गरिमा कि इज्जत करता हूँ...

आज मैं सभी नवोदित ब्लोग्गेर्स से अपील करता हूँ कि अगर आपने मेरा लेख पढ़ा है, मेरे विचार जानते हैं तो इस साझा ब्लॉग को बनाने में मेरी मदद करें. रही बात अनुभव की, तो वह किसी दुकान में नहीं बिकता, हम खुद अनुभवी बन के दिखायेंगे.. 

धन्यवाद

महेश बारमाटे "माही" 

अगर आप मेरा लेख फिर पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें - 

आमंत्रण पत्र : नए साझा Blog Association के लिए 

Comments

  1. प्रिय महेश जी.....व्यस्तता के कारण आपके पूर्वविचारों को जान ना पाया..पर आज फुरसत में आपके साझा ब्लाग के सुझावों को देखा..बहुत अच्छा विचार है आपका....ब्लागिंग के विकास के लिए और नये चेहरों को प्रोत्साहन देने हेतु आपका ये प्रयास सराहनीय लगा....परन्तु आपके इन विचारों से सहमत नहीं हूँ कि आपसे बहुत से लोगों को ईर्ष्या हो रही है,कि आप कही आगे ना बढ़ जाये..परन्तु यहाँ ऐसी कोई प्रतिस्पर्धा है ही नहीँ जो भी जहाँ है अपनी काबिलीयत और मेहनत के बल पर...यदि आपकी बातों में दम है,तो जरुर आपको लोग सुनेंगे....ब्लागजगत में जितने भी लोग है सभी बहुत ही बुद्धिजीवी और विद्वान है....मेरा सलाह आपको यही है,कि आप अपनी रुपरेखा रखे हमसब आपके साथ है.....पर एक बात ये भी कहना चाहता हूँ,कि आज ब्लागजगत में बहुत से साझा ब्लाग है,जिनमें सभी का उद्देश्य कुछ ना कुछ है.....आप उन ब्लागों में भी तो अपनी सहभागिता दिखा कर उसे और सुदृढ़ कर सकते है,आप उसको और प्रचारित कर भी तो अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकते है...यदि आपकी ही तरह हर ब्लागर ये सोच कर नयी नयी साझा ब्लाग बनाने लगे,फिर तो बस साझा ब्लागों की तादाद बढ़ती जायेगी.......यदि आप मेरे विचारों से सहमत हो,तो मुझे बताये आप किस तरह की रुपरेखा चाहते है अपने नवउद्देश्य की प्राप्ति हेतु...........हम आपका पूरा सहयोग करेंगे...........शुभकामनाएं।

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  2. हा हा... सत्यम जी... मैंने ऐसा तो नहीं कहा कि किसी को मुझसे ईर्ष्या होने लगी है...
    वैसे जो भी हो, क्षमा चाहता हूँ कल थोड़ा दिमाग खिसक गया था.
    और हाँ अगर किसी को मुझसे ईर्ष्या होने लगी है तो अच्छा ही है, क्योंकि इससे ये साबित होता है कि मैं तरक्की कर रहा हूँ...
    आज ज्यादातर साझा ब्लॉग हिन्दू - मुसलमान धर्म का अखाड़ा बनते जा रहे हैं, ऐसे में खून खुलता है कि आखिर हमे किसने इतना हक़ दे दिया कि हम किसी को कहें ये तेरा धर्म वो मेरा धर्म...
    ज्यादातर साझा ब्लॉग अपने उद्देश्य से भटकते नज़र आ रहे हैं. कहीं कोई किसी प्रसिद्ध कवि की ग़ज़ल पेश करता है तो दूसरा अपने कमेन्ट में उसमे भी हिन्दू मुस्लिम का भाव पेश कर देता है.
    जैसा कि रमेश कुमार "सिरफिरा" जी ने अपने एक लेख में कहा था "काश उस समय सोच लिया होता" बस ये शब्द मैं भविष्य में ब्लोगों की हालत देख कर नहीं बोलना चाहता...

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